साथियों,खाना बर्बाद करना,हम भारतीयों की जीवन शैली का एक हिस्सा से बन गया है


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साथियों,खाना बर्बाद करना,हम भारतीयों की जीवन शैली का एक हिस्सा से बन गया है और आश्चर्य की बात हम इसे गलत भी नही मानते।

जबकि जिस अन्न को आप उगा नही सकते उसे बर्बाद करने का अधिकार सिर्फ चंद पैसों के कारण आपको मिल गया है।ये सोचना गलत है।
आइये,बीती बातें छोड़ कर एक नई शुरुआत करते है।अब से

उतना ही ले थाली में,
व्यर्थ ना जाये नाली में।

इस संदर्भ में पढिये एक रिपोर्ट जो आपको द्रवित कर देगी।
साल में ब्रिटेन के कुल खाद्य उत्पादन के बराबर खाना बर्बाद कर देते हैं हम भुखमरी से जूझ रहे भारत में हर साल बर्बाद होता है 670 लाख टन खाना।
सवा सौ करोड़ आबादी वाले जिस भारत के बारे में कहा जाता है कि यह कृषि प्रधान देश है, जो एक उभरती हुयी अर्थव्यवस्था माना जाता है, उसकी एक स्याह हक़ीकत ये भी है कि वह भूखे साेने वालों का देश। भूखे रहने वाले देशों के मामले में भारत 119 विकासशील देशों में 102 नंबर पर है, यानि की नॉर्थ कोरिया और इराक़ से भी पीछे। 12 अक्टूबर, 2017 को जारी हुई, वाशिंगटन स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) द्वारा जारी वैश्विक भूख सूचक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में भारत को 31.4 स्कोर मिले, जिससे पता चलता है कि भूख के मामले में भारत की स्थिति कितनी गंभीर है। कुपोषण के मामले में भी भारत काफी आगे है। आईएफपीआरआई के एक स्टेटमेंट के अनुसार, भारत में पांच साल से कम उम्र का लगभग हर पांचवें बच्चे का वज़न उसकी लंबाई के हिसाब से कम है और एक तिहाई बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई उनकी उम्र की हिसाब से बहुत कम है। आंकड़ों से यह पता चलता है कि इस इंडेक्स में भारत (102) अपने पड़ोसी देशों से नेपाल (72), म्यांमार (77), बांग्लादेश (88), श्रीलंका (84) और चाइना (29) से भी पीछे है, इस मामले में भारत सिर्फ पाकिस्तान (106) से आगे है। यहां तक कि उत्तर कोरिया (93) और इराक़ (78) भी जीएचआई रैंकिंग में भूख के पैमाने पर भारत से अच्छी स्थिति में हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का खराब अंक दक्षिण एशिया को इस साल जीएचआई पैमाने पर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र की श्रेणी में डाल रहा है। विकासशील देशों में सबसे अच्छा जीएचआई स्कोर (5 से कम) चिली, क्यूबा और तुर्की जैसे देशों का है। हर साल 670 लाख टन खाना करते हैं बर्बाद यह स्थिति बहुत ही चौंकाने वाली है और गंभीर भी। एक तहफ हम जहां लाखों टन खाना हर साल बर्बाद कर देते हैं वहीं दूसरी ओर देश के लाखों लोग भूखे सोने को मज़बूर हैं। 2016 में कृषि मंत्रालय की फसल-शोध संस्था सिफ़ेट द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि भारत में हर साल लगभग 670 लाख टन खाद्यन्न बर्बाद हो जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां बर्बाद होने वाला खाद्य ब्रिटेन के एक साल के कुल खाद्य उत्पादन के बराबर है। यानि हम एक साल में जितना खाना सिर्फ बर्बाद कर देते हैं ब्रिटेन पूरे साल में उतना खाद्य उत्पादन कर पाता है और बर्बाद होने वाले इस खाने की अगर कीमत आंकी जाए तो यह लगभग 92 हज़ार करोड़ रुपये होती है। ये भी पढ़ें- यहां तीन साल से नहीं हुई बारिश, 62 लाख लोग भुखमरी के कगार पर, 80% मवेशी मरे यही नहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल और 21 करोड़ टन सब्जियां ख़राब हो जाती हैं। एक सर्वे के मुताबिक, अकेले बंगलुरु में एक साल में होने वाली शादियों में 943 टन पका हुआ खाना बर्बाद कर दिया जाता है. आपको बता दें कि इस खाने से लगभग 2.6 करोड़ लोगों को एक समय का खाना खिलाया जा सकता है। खाद्य उत्पादन के मामले में नंबर दो पर है भारत जहां वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 100वें नंबर पर है वहीं खाद्य उत्पादन के मामले में यह दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सिर्फ चीन ही एक ऐसा देश है जो इस मामले में भारत से आगे है। पूरी दुनिया का 18.52 प्रतिशत खाद्य उत्पादन चीन करता है, दूसरे नंबर पर 10.04 प्रतिशत खाद्य उत्पादन के साथ भारत है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका 10.01 प्रतिशत के साथ तीसरे पर और ब्राज़ील 9.0 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर है।

सर्वे रिपोर्ट

अंजलि विशाल
विशाल संकल्प

HI