बहुत कम लोग सर्वोदय दिवस के बारे में जानते होंगे।
भारत मे शहीद दिवस के रूप में कुछ दिन निश्चित है। 30 जनवरी और 23 मार्च,आदि।
30 जनवरी को,सर्वोदय दिवस के रूप में जाना जाता है।क्योंकि सर्वोदय को लेकर गांधी जी की अपनी एक परिकल्पना थी।
सर्वोदय भारत का पुराना आदर्श है। हमारे ऋषियों ने गाया है-\”सर्वेपि सुखिन: संतु\”। सर्वोदय शब्द भी नया नहीं है। जैन मुनि समंतभद्र कहते हैं – सर्वापदामंतकरं निरंतं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव। \”सर्व खल्विदं ब्रह्म\”, \”वसुधैव कुटुंबकं\”, अथवा \”सोऽहम्\” और \”तत्त्वमसि\” के हमारे पुरातन आदर्शों में \”सर्वोदय\” के सिद्धांत अंतर्निहित हैं।
सर्वोदय समाज गांधी के कल्पनाओ का समाज था, जिसके केन्द्र मे भारतीय ग्राम व्यवस्था थी। विनोबा जी ने कहा है, सर्वोदय का अर्थ है – सर्वसेवा के माध्यम से समस्त प्राणियो की उन्नति। सर्वोदय के व्यवहारिक स्वरुप को हम बहुत ह्द तक विनोबा जी के भूदान आन्दोलन मे देख सकते है।
सुबहवाले को जितना, शामवाले को भी उतना ही-प्रथम व्यक्ति को जितना, अंतिम व्यक्ति को भी उतना ही, इसमें समानता और अद्वैत का वह तत्व समाया है, जिसपर सर्वोदय का विशाल प्रासाद खड़ा है। (दादा धर्माधिकारी – \”सर्वोदय दर्शन\”)
जय हिंद
अंजलि विशाल संकल्प